महात्मा गांधी स्कूल नियुक्ति में बोनस अंक अवैध घोषित: हाई कोर्ट का आदेश, बिना बोनस अंक के बनेगी मेरिट

राजस्थान हाई कोर्ट ने महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूल में नियुक्ति प्रक्रिया में दिए जा रहे बोनस अंकों को अवैध करार देते हुए मेरिट बनाने का आदेश दिया है। जस्टिस अनूप कुमार ढूंढ की बेंच ने मोहनलाल शर्मा व अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।

Rajasthan High Court
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विभागीय भर्ती में बोनस अंकों का प्रावधान बना विवाद का कारण

दरअसल, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने 11 जुलाई को महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षक, प्रिंसिपल और अन्य कर्मचारियों की भर्ती हेतु विज्ञप्ति जारी की थी। इस भर्ती में यह शर्त जोड़ी गई थी कि जो कार्मिक पहले से जिस जिले में कार्यरत हैं, यदि वह उसी जिले को नियुक्ति के लिए प्राथमिकता देते हैं, तो उन्हें 10 अतिरिक्त बोनस अंक दिए जाएंगे। इस प्रावधान को अन्य अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

नियमों में बोनस अंक का प्रावधान नहीं

याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील रामप्रताप सैनी ने तर्क दिया कि राजस्थान सिविल सर्विस रूल्स, 2013 में कहीं भी नियुक्ति में बोनस अंक देने का प्रावधान नहीं था, बावजूद इसके विभाग ने इस साल भर्ती में बोनस अंक जोड़ दिए। उन्होंने बताया कि इस साल 25 अगस्त को इस भर्ती की लिखित परीक्षा हुई थी, लेकिन जोधपुर हाई कोर्ट ने पहले ही परिणाम पर रोक लगा दी थी।

हाई कोर्ट का फैसला: आर्टिकल-14 का उल्लंघन है बोनस अंक देना

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में माना कि जिले के आधार पर बोनस अंक देना आर्टिकल-14 का उल्लंघन है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नियमों में इस तरह के अंकों का प्रावधान नहीं है, सिर्फ विज्ञप्ति में शर्त जोड़कर इस तरह का लाभ नहीं दिया जा सकता। ऐसे में कोर्ट ने विभाग को निर्देश दिया है कि वे बिना बोनस अंकों के मेरिट बनाएं और भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ाएं।

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