हर साल नवंबर के पहले हफ्ते में हिमालय के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फ की सफेद चादर बिछ जाती है। लेकिन इस बार उत्तराखंड के तुंगनाथ मंदिर से लेकर केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तक कहीं भी बर्फ का नामोनिशान नहीं है। यह नजारा पर्यटकों को हैरान कर रहा है, जो हर साल इस समय पहाड़ों पर बर्फ देखने की आस लिए यहां पहुंचते हैं। समुद्र तल से करीब 4000 मीटर ऊंचे तुंगनाथ मंदिर का दृश्य भी इस बार सूना है, जहां अब तक बर्फ की सफेदी का दीदार होता था।
कम बारिश से मौसम बदल गया, ठंडक का नामोनिशान नहीं
सितंबर के बाद से उत्तराखंड में 90% कम बारिश हुई है। इसका नतीजा यह हुआ कि ऊंचाई वाले इलाकों का तापमान भी मैदानी इलाकों की तरह सामान्य बना हुआ है। उत्तराखंड के मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह बताते हैं कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण इस साल तापमान सामान्य से 2-3 डिग्री ज्यादा चल रहा है। ठंड की जगह हल्की गर्मी का अहसास हो रहा है, जो इन इलाकों में अप्रत्याशित है।
धुंध और प्रदूषण ने उत्तर भारत में बढ़ाई बेचैनी
जहां पहाड़ बर्फ से महरूम हैं, वहीं उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में प्रदूषण ने धुंध की चादर ओढ़ ली है। दिल्ली, गाजियाबाद, सोनीपत, आगरा जैसे शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) सुबह 300 के पार रिकॉर्ड किया गया, जिससे यहां की हवा बेहद प्रदूषित हो गई है। लोग सांस लेने में परेशानी महसूस कर रहे हैं, और प्रदूषण का स्तर सामान्य से कहीं ज्यादा खतरनाक हो गया है।
बदलते मौसम का असर: पर्यटन पर पड़ेगा असर
बर्फबारी का इंतजार कर रहे पर्यटक इस मौसम में पहाड़ों की ओर रुख करते हैं, लेकिन इस बार उनके इंतजार को निराशा में बदलता देखना दुखद है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस मौसम में बर्फबारी की कमी का असर पर्यटन पर पड़ेगा। उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी न होने से होटल व्यवसाय और स्थानीय पर्यटन प्रभावित हो सकता है।
आने वाले दिनों में तापमान गिरेगा, बर्फबारी की संभावना
मौसम विज्ञानियों का मानना है कि आने वाले दिनों में तापमान में गिरावट आएगी। एक हल्का पश्चिमी विक्षोभ हिमालय की ऊंचाइयों पर हल्की बारिश और बर्फबारी ला सकता है। इसके बाद धीरे-धीरे तापमान में गिरावट होगी, जिससे बर्फबारी की उम्मीद जगी है। इसका असर निचले इलाकों में भी देखने को मिलेगा, जहां हल्की बारिश की संभावना है।
प्रकृति का ये बदला मिजाज सभी के लिए एक संदेश
यह बदलता मौसम केवल पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए ही नहीं, बल्कि हम सभी के लिए एक चेतावनी है। इस साल का असामान्य तापमान और बर्फबारी की कमी एक संकेत है कि हमें प्रकृति के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है।