हैदराबाद के आखिरी निजाम मुकर्रम जाह के निधन के बाद हजारों करोड़ की संपत्ति को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। यह संपत्ति इतनी विशाल है कि इसे लेकर पूरे आसफ जाही राजवंश के हजारों वंशज कानूनी दावेदारी पेश कर चुके हैं।
कौन थे आखिरी निजाम?
मुकर्रम जाह का पिछले साल इस्तांबुल में निधन हो गया। अपने समय के सबसे अमीर शख्सियतों में से एक, निजाम ओसमान अली खान की संपत्ति 230 बिलियन डॉलर (लगभग 17.47 लाख करोड़ रुपये) थी। आज उनके वंशज इसी संपत्ति में हिस्सा मांग रहे हैं, और यह मामला अब अदालत की दहलीज पर पहुंच गया है।
मुकदमे में कौन-कौन हैं शामिल?
इस कानूनी लड़ाई में प्रमुख रूप से मुकर्रम जाह के बेटे अजमद जह और आजम जह आमने-सामने हैं। आजम जह ने हैदराबाद सिटी सिविल कोर्ट में फलकनुमा महल, चौमहल्ला महल, चिरान फोर्ट, नाजरी बाग महल, और ऊटी के सेदार पैलेस जैसी संपत्तियों में 2/6 हिस्से की मांग की है। इसके अलावा, वह नायाब कलाकृतियां, संगमरमर की मूर्तियां, रोल्स रॉयस कारें, और पुराने आभूषणों पर भी दावा कर रहे हैं।
आरोप और दावेदारियां
आजम जह का आरोप है कि उनके बड़े भाई अजमद जह और उनकी मां एसरा यगाने, सारी संपत्ति पर कब्जा करना चाहते हैं और इसे बेचना चाहते हैं। आजम जह ने कहा कि उनके पिता ने चार अन्य महिलाओं से भी विवाह किया था, जिनके साथ तलाक के बाद मेहर देने का वादा किया गया था, परंतु यह अब तक पूरा नहीं हुआ।
17.47 लाख करोड़ की संपत्ति, वंशजों में विभाजन का मुद्दा
1948 में जब निजाम ओसमान अली खान ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया, तब उनके पास 230 बिलियन डॉलर की संपत्ति थी। मीर आजम जह और मीर मोअज्जम जह उनके बेटे थे, और पोते मुकर्रम जह को भी संपत्ति में हिस्सा दिया गया। अब इस संपत्ति पर केवल आजम और अजमद जह ही नहीं, बल्कि पूरे आसफ जाही राजवंश के अन्य वंशज भी दावेदारी ठोक रहे हैं।
राजवंश के हजारों सदस्य भी बने हिस्सेदार
निजाम छठे के पड़पोते रौनक यार खान और मीर महबूब अली खान (जिन्हें निजाम नौवां माना गया है) ने भी इस संपत्ति पर अपना हक जताया है। आसफ जाही राजवंश के करीब 4500 वंशजों में से 2800 जीवित हैं और उन्होंने मिलकर मजलिस-ए-साहेबजदां सोसाइटी बनाई है। यह सोसाइटी अब राजवंश की इस संपत्ति पर अपना दावा पेश कर रही है।
क्या होगा अगला कदम?
अदालत में दाखिल हुई याचिकाओं के बाद यह साफ हो गया है कि यह संपत्ति विवाद का हल आसान नहीं है। हज़ारों वंशजों के दावे और निजाम परिवार की विशाल संपत्ति पर काबिज होने की इच्छा ने इस मामले को पेचीदा बना दिया है।